पादप अनुभाग
सुगन्धित पादप उद्यान
इस अनुभाग को हाल ही में विशेषकर भारत के सुगन्धित पौधों के लिए विकसित किया गया है | डिवीजन न. 20 में रेस्ट हाउस के पास 3000 वर्ग फीट में विकसित इस गार्डेन में 30 से भी अधिक सुगन्धित पादप जातियां है जिसमे सभी स्पाइस पौधे, लेमन ग्रास, मिंट, कैम्फर, चन्दन लकड़ी आदि शामिल हैं
बम्बूसेटम
गार्डेन के बम्बूसेटम में देश के विभिन्न भागों से संग्रह किए गए बड़ी संख्या में बम्बू की जातियां हैं| बम्बूसेटम में 28 से भी अधिक बम्बू की जातियां है जिसमें गोल्डन बम्बू, जाइंट बम्बू, क्लाइम्बिंग बम्बू, बुद्धा बेली बम्बू आदि शामिल हैं |
कैक्टस हाउस
डिवीजन सं. 22 में 1987 में बाइसेंटेनरी उत्सव के अवसर पर कैक्टसों एवं गुद्देदार पौधों के लिए अलग से एक पंचकोणीय ग्लास हाउस बनाया गया | इस अनुभाग में 10 विभिन्न परिवारों से संबंधी 100 से भी अधिक गुद्देदार पौधों की जातियों का संग्रह है | पौधों के कई दुर्लभ प्रभेदों का भी रख रखाव इस अनुभाग में किया जा रहा है | कैक्टस विभिन्न आकृति एवं आकार की विस्तृत श्रृंखला में पायी जाती है | अधिकांश कैक्टस उन आवासों में होते हैं जहाँ कम से काम थोड़ी शुष्क/सूखा हो | अनेक तो एकदम शुष्क वातावरण में रहते हैं | कैक्टस पानी के संरक्षण हेतू अनेक अनुकूलन प्रदर्शित करते हैं | लगभग सभी कैक्टस गुद्देदार होते हैं इसका मतलब यह है की जल संचयन हेतू उनके पास मोटे, मांसल भाग अनुकूलित होते हैं |अनेक अन्य गुद्देदार पौधों से भिन्न अधिकांश कैक्टस में तना ही मात्र भाग है जहाँ यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया होती है | कैक्टस की अधिकांश जातियों के पत्ते नहीं होते,वे काँटो में रूपांतरित हो जाते हैं जो उच्च कोटि के प्रवर्धित पत्ते हैं | शाकाहारी जीवों से रक्षा के साथ-साथ काँटे कैक्टस के पाह से बहने वाले वायु को कम करके एवं कुछ छाया प्रदान करके जल हानि को रोकते हैं | पत्तियों की अनुपस्थिति में बढे हुए तने प्रकाशसंश्लेषण करते हैं |
कन्ना अनुभाग
इस खंड में विभिन्न प्रकार के रंग संयोजन के साथ कन्ना की विभिन्न किस्मों का संग्रह है और आगंतुकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
औषधीय पादप अनुभाग या चरक उद्यान इस गार्डेन का एक महत्वपूर्ण अनुभाग है जिसमे 196 बेडों में सुव्यवस्थित 200 से भी अधिक औषधीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पौधों का संग्रह है जो महर्षि चरक द्वारा रचित चरक संहिता में वर्णित अधिकांश पौधों को शामिल करती है | इस अनुभाग में कोको,नटमेग, गुरमर, कोकीन, आदि का विशिष्ट संग्रह है | इसे 1990 में विद्यार्थियों द्वारा खोला गया था |पर्ण अनुभाग
डिवीजन न. 20 में स्थित पर्ण अनुभाग साल भर अपने प्राकृतिक सौंदर्य एवं रंगीन पत्तों द्वारा आगंतुकों को सुंदरता प्रदान करती है | इनके अलावा कतरन सजावटों का रखरखाव भी किया जा रहा है एवं इसे पोलिएल्थिया एसपी., मुसांडा एसपी.,आदि में देखा जा सकता है | अन्य विभिन्न पर्ण पादप जैसे कोडियम एसपी., डायफेन्बेचिया एसपीपी., अरेलिया एसपीपी., यूफोरिया एसपीपी. आदि इस अनुभाग की सुंदरता में वृद्धि कर रहे हैं | इस अनुभाग की मनमोहक सुंदरता फोटोग्राफी स्थल के रूप में अनेक आगंतुकों को आकर्षित करती है |
विशाल पाम हाउस :
विशाल पाम हाउस 19वीं सदी के मध्य में रोचक पामों एवं छायाप्रिय पौधों के रोपण हेतु बनाया गया था, जो इंडियन बॉटेनिक गार्डेन के डिवीजन न. 17 में स्थित है | इस हाउस के लोहे की संरचना पर लत्ते उगे हुए हैं : एनटिगोनोन लेपटोपस हुक. एवं अर्न. तथा पोरना पेनिकुलाटा रॉक्सब जैसे लत्ते जो अंदर के रोपित पामों को छाया प्रदान करते हैं | हाउस के केंद्र में गुम्बद के ठीक नीचे लॉडोइसिया मालदिविका (जे.एफ. जिमेलिन) परसून- गौरवशाली धड़ एवं बड़े पत्तों से शीर्षयुक्त डबल कोकोनट उगती है | सेशेल्स द्वीपों (पश्चिम हिन्द महासागर) में मूल रूप से पाए जाने वाले इस पाम जाति को 1894 में यहाँ समावेशन एवं लगाया गया | यह जाइंट पाम लगभग 1000 वर्ष तक जीवित रहता है | यह पादप जगत से वर्णित अभी तक का सबसे बड़ा बीज देने वाला पादप है | इसके बीज नारियल के दो बीजों के एक साथ संयोजित होने जैसा लगती है इसलिए इसका नाम 'डबल कोकोनट' पड़ा है |इस पाम हाउस में जो अन्य रोचक पाम हैं उनका नाम अरेका नागेंसिस ग्रिफ.(पूर्वोत्तर भारत), अरेंगा इंग्लेरि बेक. (मलेशिया), एस्ट्रोकेरियम मैक्सिकैनम लिएब्म एक्स मार्ट. (मेक्सिको), बेंटिनकिया निकोबारिका बेक. (निकोबार्स), लिकुआला पेलटाटा रॉक्सब.एक्स बुख हैम. (रीजनल हिमालया), लिविस्टोना जेनकिंसियाना ग्रिफ. (रीजनल हिमालया),
ओरबिगनया कोहुनि (सी.मार्टियस) स्टैन्डले (होंडुरस), रोपालोब्लास्टी अगस्टा (कुर्ज) एच.ई. मूरे (निकोबार्स) जो अभी अपने प्राकृतिक आवास में संकटग्रस्त हैं | लत्तादार पाम कैलेमस अंड़मानिकस कुर्ज (अंडमान), बर्ड नेस्ट फर्न अस्प्लेनियम निडस एल. एवं विभिन्न छाया प्रिय पौधें जिसमे राफीडोफोरा डिकरसीवा स्कॉट भी शामिल है और जो पाम हाउस में लगाए गए हैं ये सभी एक साथ मिलकर एक ऐसा वातावरण का निर्माण करते हैं जिसकी तुलना वर्षा वन से की जाती है | इनके अलावे अन्य महत्वपूर्ण पौधों में सायकस सिरसिनालिस एल.,सी.रम्फी मिक., मिरिस्टिका फ्रेग्रन्स हाउट (नटमेग) एवं अन्य पौधें शामिल हैं
पौधशाला
यह अनुभाग निमफिया (वाटर लिली) एवं नेलुम्बो (लोटस) कहलाने वाले जलीय पौधों के जर्मप्लाज्म संग्रह का रखरखाव करता है | इसके अतिरिक्त बहुत बड़ी संख्या में उनके प्रभेदों एवं हायब्रिडों जैसे अगस्त कोच, ब्लू ट्रिम्फ, कैरुला,पामेला आदि ब्लू पुष्पवाले, सिओक्स, क्रोमेटेला, पीले पुष्पवाले,रोज,एरे, जनरल पर्शिंग सुगन्धयुक्त गुलाबी पुष्पवाले, गुलाबी-नीला पुष्पवाले, सिंदूरी पुष्पवाले एस्कार्बोकल एवं लाल पुष्पवाले ओमेरियाना को भी संरक्षित रखा गया है
यह अनुभाग निमफिया (वाटर लिली) एवं नेलुम्बो (लोटस) कहलाने वाले जलीय पौधों के जर्मप्लाज्म संग्रह का रखरखाव करता है | इसके अतिरिक्त बहुत बड़ी संख्या में उनके प्रभेदों एवं हायब्रिडों जैसे अगस्त कोच, ब्लू ट्रिम्फ, कैरुला,पामेला आदि ब्लू पुष्पवाले, सिओक्स, क्रोमेटेला, पीले पुष्पवाले,रोज,एरे, जनरल पर्शिंग सुगन्धयुक्त गुलाबी पुष्पवाले, गुलाबी-नीला पुष्पवाले, सिंदूरी पुष्पवाले एस्कार्बोकल एवं लाल पुष्पवाले ओमेरियाना को भी संरक्षित रखा गया है |
एजेसी बोस इंडियन बॉटेनिक गार्डेन को अपने मूलस्थानिक एवं विदेशी पामों के लिए जाना जाता है | 109 जातियों के साथ, यह संग्रह भारत के समृद्ध संग्रहों में से एक है | चर्चा करने योग्य कुछ रोचक पामों में शाखित पाम, ऑयल पाम, सेंचुरी पाम, एवं अनेक मूलस्थानिक एवं विदेशी पाम हैं |
पेंडानस एसपीपी. को आमतौर पर स्क्रीव पाइंस के नाम से जाना जाता है | इनके संग्रह को 'पेंडानेटम' कहा जाता है | इन पौधों को अक्सर पाम समझने की भूल हो जाती है, लेकिन ये थोड़ा भी पाम से संबंधित नहीं हैं | आमतौर पर चौड़ी छतरी, भारी फल, एवं मध्यम वृद्धि दर युक्त यह जाति आकार में छोटी झाड़ियों से लेकर 1 मी से कम लंबी, मध्यम आकार के वृक्षों से लेकर 20 मी लंबी होती है | धड़ मजबूत, चौड़ी शाखा, एवं अनेक पत्तों के निशान से घिरी होती है | पेंडानस (सामान्य एवं दुर्लभ) की कई जातियां जैसे पेंडानस फोएटिडा, पी. फरकेटस, पी. लेरम, पी.टेक्टोरियस, पी. एनग्यूफर आदि को यहाँ उगते हुए देखा जा सकता है |
कोनिफर्स के संग्रह को पाइंटम नाम दिया गया है | हालांकि कोनिफर्स अपेक्षाकृत उच्च स्थलों में उगते हैं लेकिन लम्बे संरक्षण प्रक्रिया के द्वारा इन्हे गार्डेन के वातावरण में अनुकूलित बनाया गया है | अन्य जिमनोस्पर्मस जैसे सायकस सिरसिनालिस, सी. रेवोलुटा, सी.रम्फी, अगाथिस रोबुस्टा एवं जामिया पेलिडा के अतिरिक्त अनेक सामान्य एवं दुर्लभ कोनिफर्स जैसे पाइनस रॉक्सबर्गी, अरौकरिया,जूनिपेरस को डिवीजन न. 4 एवं 8 में दो पाइनेटमों में संरक्षित रखा जाता है |
2019 में ग्रेट बनयान ट्री से सटे एजेसीबीआईबीजी का लगभग 26000 वर्ग फीट के क्षेत्र को रोजेरियम/ रोज अनुभाग में परिवर्तित कर दिया गया है | इस क्षेत्र को 29 भूखंडों या बेडों में बदल दिया गया है ; प्रत्येक बेड लगभग 800 वर्ग फीट का था जिसके चारों ओर ईंट एवं बालू से निर्मित 2 फीट की पगडंडी है एवं मध्य में भारतीय नस्ल की जानकी अम्मल नामक रोज की सुसज्जित बेड स्थित है | सामने तरफ छोटे गुलाबों की लंबी बेड है जो 2 फीट चौड़ी है एवं मेड की तरह कार्य करती है | नव विकसित रोज अनुभाग या रोजेरियम में 2708 गुलाब के पौधें हैं जो 29 बेडों में उगते हैं एवं ये सामने के बीएड में हैं | धारीयुक्त 16 रंगों की संयोजन वाली 248 से भी अधिक नस्लें हैं | 29 बेडों में से एक बेड केवल भारतीय नस्लों एवं अन्य विदेशी नस्लों के लिए हैं | कुछ प्रमुख नस्लों में अनेक सुगंधित प्रभेदों सहित रॉयल अमेथिस्ट, गैरी प्लेयर, स्वामी रंगनाथ नंदा, स्पेल वर्क, राइना ह्यूगो, हॉली वुड , डबल डिलाइट, विक्टर ह्यूगो, एके.मिश्रा, मार्कोपोलो आदि हैं | रोजेरियम का उदघाटन 12 जनवरी 2020 में मिस हेनरीएनी डी ब्रीय, अध्यक्ष,वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ रोज सोसाइटीज द्वारा डॉ.ए.ए.माओ, निदेशक,भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण एवं विभिन्न देशों से आए प्रतिनिधियों तथा बीएसआई के सभी स्थानीय कार्यालयों के अधिकारियों सहित वर्ल्ड रीजनल रोज कन्वेंशन के लगभग 250 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ |