एक्स-सीटू संरक्षण
रियो अर्थ समिट के बहुत पहले यानी 1987 के पूर्व ही एजेसी बोस इंडियन बॉटेनिक गार्डेन, हावड़ा ने 'एनुअल एक्शन प्लांस' में जातियों को लुप्त होने से बचाने के लिए मूल स्थान में उनके विनाश के पूर्व ही दुर्लभ, संकटग्रस्त एवं संकट के कगार पर पहुँच चुके (आरईटी) मूलस्थानिक जातियों के समावेशन हेतु एक सुव्यवस्थित योजना अपनाने के साथ साथ कार्यान्वित किया है | यह पिछले 30 वर्षों से एजेंसीबीआईबीजी में पौधों के समावेशन से स्पष्ट पता चलता है |
1992 में आयोजित रियो कन्वेंशन के बाद एजेंसीबीआईबीजी में आरईटी जातियों के समावेशन प्रवृति में अनेक स्तरों पर वृद्धि हुई है एवं वर्ष में अधिक संख्या में खासकर आरईटी जातियों का वनों से संग्रहित किया जा रहा है एवं प्रभावकारी संरक्षण के उद्देश्य से गुणित किया जा रहा है | ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि अनेक प्रमुख वन्य जाति लुप्त हो गए हैं,मूल आवास के क्षीण होने से प्रत्येक वर्ष अनेक जाति संकटप्राय पौधों के आईयूसीएन सूची में शामिल हो रहे हैं | फिर भी एनुअल एक्शन प्लान्स के अंतर्गत पादपभोगौलिक एवं पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण से नाजुक पश्चिम घाटों,पूर्वी घाटों पूर्वोत्तर भारत एवं अंडमान तथा निकोबार द्विपसमूहों से संकटपराय जातियों के समावेशन का अभियान एजेसीबीआईबीजी का सबसे बड़ा लक्ष्य रहा है जो अभी भी जारी है |
मूलनिवास के विनाश एवं वैश्विक उष्णता के कारण विशाल भारतीय मूल स्थानिक फ्लोरा अनेक स्तर पर अपने प्राकृतिक आवास में संकट का सामना कर रहा है | उन जातियों को विनाश से बचाने के लिए हमें जरुरत है उन्हें एक्स-सीटू के अंतर्गत बॉटेनिक गार्डेन में संरक्षित किया जाए | गार्डेन अपने अनवरत प्रयास के साथ भारत के महत्वपूर्ण मूलस्थानिक दुर्लभ/ संकटग्रस्त/संकटपराय एवं स्वभाव से मूल स्थानिक जातियों (आरईटी एवं ई ) के संग्रहों, समावेशन, गुणन, पुनर्रोपण, पोषण एवं संरक्षण के कार्य में लगी हुई है, यह कार्य एक्स-सीटू संरक्षण एवं बचाव के लिए भारत के लगभग सभी विभिन्न भौगौलिक पट्टियों जैसे अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूहों सहित उत्तर, दक्षिण, पूरब एवं पश्चिम में फील्ड टूर के माध्यम से संपन्न हो रहा है | इसके अलावे इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत एजेसीबीआईबीजी में संबंधित विभाज्य क्षेत्रों में प्रभावशाली एक्स -सीटू संरक्षण हेतू पूर्व में समावेशित आरईटी एवं ई पौधों का पोषण एवं रोपण भी आता है |
वर्ष 2019- 20 के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस, वन महोत्सव सप्ताह, एमओईएफ एवं सीसी नई दिल्ली,से विशिष्ट जनों के आगमन के दौरान, अन्य अवसरों जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं आवश्यक पौधरोपण के सामान्य कार्य तथा तत्पश्चात उनका ध्यान एवं रखरखाव के माध्यम से संबंधी विभाजित क्षेत्रों में आरईटी एवं ई पौधों सहित लगभग 100 मूलयवान पौधों के रोपण की व्यवस्था कि गयी एवं लक्ष्य को पूरा किया गया |
वर्ष 2019- 20 के दौरान सायकस बेडोमी डायर, सायकस स्फेरिका रोक्स, हिलडेगार्डिया पोपुलिफोलिया स्कॉट एवं इंडल, सिजियम अल्टरनिफोलियम (वाईट) वाल्प, टेरोकार्पस सेंटालिनस एल.एफ , बुरसेरा डेलपेचियाना इंग्ल, बुरसेरा ओवेलिया (स्चलटडल) इंग्ल, बुरसेरा सेराटा वॉल एक्स कोलेब्र, विथियाना सोमनिफेरा (एल.)दुनाल, फोएनिक्स लूरीरोइ कुंथ आदि प्रभेदों को गार्डेन में समावेशित किया गया है |
गार्डेन के नदी वाले किनारे पर 9 जातियों (जायलोकार्पस मेकोंजेंसिस पियर, राइजोफोरा मैक्रोनाटा लम., सोनेरेटिया एपिटाला बुख -हैम., केरिओप्स टेगल (पर.) सी.बी. रॉब, केरिओप्स डेकानड्रा (ग्रिफ.) डब्लू. थेओब, ब्रूगुएरा (एल.) सव. हेरिटिएरा फोम्स बुक- हैम, निपा फ्रुकटिकन्स वुरम्ब एवं एक्सोइकेरिया एगलोचा एल.) के अंतर्गत 2500 से अधिक मैन्ग्रोव पौधों की सैपलिंग का सफल रोपण किया गया है |
सुगन्धित पौधों के एक नवीन अनुभाग का निर्माण जारी है जिसमें 100 से भी अधिक सिनामोमम वेरम जे. प्रेस्ल, सेंटलम अल्बम एल., अरटाबोट्रीज हेक्सापेटलस के (एल.एफ.) भंडारी, मैग्नोलिया चंपेका(एल.) बैल्ल एक्स.पियर, जस्मिनम सैमबक(एल.) ऐटन, मेंथा पिपरिटा एल., ओसीमम बेसिलिकम एल. प्लूमेरिया रुब्रा एल., इरिंगियम फोएटिडम एल. मुरैया पैनिकुलाटा(एल.) जैक., प्लेक्ट्रंथेस अम्बोनिकस (लाउर) स्प्रेंग, गार्डेनिया गुम्मिफेरा एल.एफ., सिम्बोपोगान साईट्रेटस (डी.सी.) स्टाप्फ, ओसीमम ग्रासिमम एल., वेटिवेरिया जिजनिओइडस (एल.) नश, इलसोजिया फ्रूटिकोसा (डी. डॉन) रेहडर,सिनमोमम कैमफोरा(एल.) जे. प्रेस्ल, आर्टिमिसिया वुल्गारिस एल., पोगोस्टेमन बैंगालेंसिस (बर्म.एफ.) कुंजी, पिमेंटा (एल.) मर. सैपलिंगों को समावेशित किया गया है |