अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना पोर्ट ब्लेयर में 30 मार्च 1972 को द्वीपों के फ्लोरा का दस्तावेजीकरण एवं तदुपरांत परिमंडल के पादपालय, संग्रहालय एवं प्रयोगात्मक गार्डेन को समृद्ध करने के प्रमुख उद्देश्य से किया गया | बीएसआई के सभी इकाईयों में, अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र को देश के सबसे दुर्गम एवं द्वीपीय फ्लोरिस्टिक दृष्टिकोण से संवेदनशील स्थानों को सन्निहित करने का श्रेय जाता है |
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र
कार्यालय प्रमुख का नाम: डॉ. लाल जी सिंह, वैज्ञानिक ई
अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना पोर्ट ब्लेयर में 30 मार्च 1972 को द्वीपों के फ्लोरा का दस्तावेजीकरण एवं तदुपरांत परिमंडल के पादपालय, संग्रहालय एवं प्रयोगात्मक गार्डेन को समृद्ध करने के प्रमुख उद्देश्य से किया गया | बीएसआई के सभी इकाईयों में, अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र को देश के सबसे दुर्गम एवं द्वीपीय फ्लोरिस्टिक दृष्टिकोण से संवेदनशील स्थानों को सन्निहित करने का श्रेय जाता है इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है:
· सर्वेक्षण,अन्वेषण एवं पादप संसाधनों का पहचान करना,तदुपरांत उपस्थिति ,सवितरण, पारिस्थितिकीय विशेषताएं एवं अंडमान तथा निकोबार द्वीपों की पादप सम्पदा के आर्थिक क्षमताओं संबंधी प्रामाणिक सूचनाएं प्रदान करना |
· फ्लोरिस्टिक खोज, फ्लोरा ऑफ अंडमान एवं निकोबार द्वीपों का दस्तावेजीकरण एवं प्रकाशन |
· द्वीपों के मैन्ग्रोव वनस्पति पर विधिवत अध्ययन एवं कमजोर पारिस्थितिकीय तंत्र का मूल्यांकन करना |
· मूलस्थानिक ऑर्किडों,आर्थिक एवं मूल जनजातियों के औषधीय पौधों पर विशेष ध्यान देते हुए द्वीपों के दुर्लभ एवं संकटग्रस्त पौधों के समावेशन, गुणन एवं संरक्षण का कार्य बॉटेनिक गार्डेन में करना |
· विभिन्न आदिवासी जनजातियों का लोकवानिस्पतिकि अध्ययन |
· अंडमान एवं निकोबार क्षेत्रीय केंद्र में विभिन्न अनुसंधान गतिविधियों के लिए बड़े प्रकार्यात्मक इकाईयां हैं जिसमे हाड्डो,पोर्ट ब्लेयर में पादपालय, संग्रहालय,पुस्तकालय, डाटा बेस इकाई आदि शामिल हैं एवं पोर्ट ब्लेयर से लगभग 16 किमी दूर नयाशहर नामक जगह में एक प्रयोगात्मक गार्डेन व वनस्पति वाटिका है |
· यह गहन वानस्पतिक अन्वेषणों एवं द्वीपों की फ़्लोरा के दस्तावेजीकरण एवं दुर्लभ,संकटग्रस्त एवं मूलस्थानिक पादप जातियों तथा उनके एक्स-सीटू और इन-सीटू संरक्षण पर केंद्रित करती है |
उद्देश्य
· सर्वेक्षण,अन्वेषण एवं पादप संसाधनों का पहचान करना,तदुपरांत उपस्थिति ,सवितरण, पारिस्थितिकीय विशेषताएं एवं अंडमान तथा निकोबार द्वीपों की पादप सम्पदा के आर्थिक क्षमताओं संबंधी प्रामाणिक सूचनाएं प्रदान करना |
· फ्लोरिस्टिक खोज, फ्लोरा ऑफ अंडमान एवं निकोबार द्वीपों का दस्तावेजीकरण एवं प्रकाशन |
· द्वीपों के मैन्ग्रोव वनस्पति पर विधिवत अध्ययन एवं कमजोर पारिस्थितिकीय तंत्र का मूल्यांकन करना |
· मूलस्थानिक ऑर्किडों,आर्थिक एवं मूल जनजातियों के औषधीय पौधों पर विशेष ध्यान देते हुए द्वीपों के दुर्लभ एवं संकटग्रस्त पौधों के समावेशन, गुणन एवं संरक्षण का कार्य बॉटेनिक गार्डेन में करना |
· विभिन्न आदिवासी जनजातियों का लोकवानिस्पतिकि अध्ययन |
· द्वीपों के पारिस्थितिक तंत्र पर विकासजनक गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन |
इन उद्देश्यों को विभिन्न ऋतुओं में विभिन्न द्वीपों में बारम्बार सर्वेक्षण एवं संग्रह टूर के माध्यम से पूरा किया गया है | इन अध्ययनों के परिणामस्वरूप 300 से भी अधिक अनुसन्धान पेपर्स एवं फ्लोरा ऑफ अंडमान एंड निकोबार आईलैंड्स, खंड 1, फ्लोरा ऑफ ग्रेट निकोबार आईलैंड्स, मैनग्रोवस ऑफ अंडमान एंड निकोबार आईलैंड्स, टेरिडोफाइटस ऑफ अंडमान एंड निकोबार आईलैंड्स जैसे पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है | फ्लोरा ऑफ अंडमान एंड निकोबार आईलैंड्स के द्वितीय एवं तृतीय खंडो का सम्पादन अंतिम चरण में है | मैनग्रोवस का फ्लोरिस्टिक सर्वेक्षण के कारण सम्पूर्ण द्वीपों में फैले मैनग्रोवस की विविध जातियों का डॉक्यूमेन्टेशन हो पाया है तदुपरांत यह साबित हो पाया है कि इस देश के इन द्वीपों में सबसे अच्छे मैनग्रोव वनस्पति है | क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकगण एवं कर्मीगण दुर्लभ, संकटग्रस्त एवं विकट पादप जातियों के जर्मप्लाज्म के संग्रह एवं संरक्षण हेतू प्रभावशाली कदम उठा रहे हैं | कालपोंग जल-विद्युत् परियोजना पर पर्यावरणीय प्रभाव के आकलन ने नए टैक्सा की खोज एवं दुर्लभ तथा मूलस्थानिक पादप जातियों के पुनर्संग्रह में योगदान दिया है | इसके अतिरिक्त ननकोरी द्वीप समूह की घासभूमियों के अन्वेषण के परिणामस्वरूप आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण घासों के नए रिकॉर्ड दर्ज किए गये हैं |
क्षेत्रीय केंद्र की प्रमुख उपलब्धियाँ
द्वीपों से 3 वंश एवं 133 पादप जातियों का खोज हो चूका है जो विज्ञान में नया है |
400 से भी अधिक व्यापक एवं गहन अन्वेषण टूर के कारण लगभग द्वीपों की पादप सम्पदा का 90% एंजियोस्पर्म, जिमनोस्पर्म, टेरिडोफाइट,ब्रायोफाइट एवं लाइकेन का दस्तावेज तैयार कर लिया गया है |
संक्षिप्त नाम पीबीएल से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पादपालय की स्थापना 40,000 से भी अधिक पादप प्रतिरूपों के साथ किया गया है |
फ्लोरा ऑफ अंडमान एवं निकोबार्स आईलैंड्स (खंड-1) एवं फ्लोरा ऑफ ग्रेट निकोबार आईलैंड्स का प्रकाशन |
राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय जर्नल्स में गहन रूप से समीक्षा उपरान्त 600 से अधिक वैज्ञानिक अनुसंधान पेपर्स का प्रकाशन |
द्वीपों के मूलस्थानिक, दुर्लभ एवं संकटग्रस्त पौधों के एक विस्तृत सूची तैयार किया गया है |
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, भारत सरकार,नई दिल्ली के दिशा-निर्देश में उत्तरी अंडमान के कालपोंग जल-विद्युत् परियोजना पर पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन |
वन्य जीव सलाहकार परिषद् के दिशा-निर्देशों में रानी झाँसी मरिन राष्ट्रीय उद्यान के स्थलीय एवं समुद्री फ़्लोरा का सर्वेक्षण एवं रिपोर्टिंग |
बैरेन आईलैंड (वोल्केनिक आईलैंड ) की फ्लोरा का विस्तृत सूची तैयार किया गया |
क्षेत्रवार वितरण का गणना एवं अंडमान एवं निकोबार द्वीपों के मैनग्रोव वनस्पति का जाति विश्लेषण |
अंडमान द्वीपसमूह में जारवा जनजाति के पादप संसाधन का सर्वेक्षण |
बीजों एवं 40 वृक्ष जातियों के सीडलिंग्स, डीईजीसीए में जिंजिबर्स एवं बेंत के संग्रह एवं समावेशन पर संरक्षण आधारित अध्ययन पूरा किया, पौधशाला बनाया एवं बीज अंकुरण तथा वृक्ष जातियों का फिनोलॉजिकल सर्वेक्षण का काम किया |
धनीखाड़ी प्रयोगात्मक गार्डेन सह पादप वाटिका में आरईटी जातियों का एक्स-सीटू संरक्षण एवं पीबीएल के अज्ञात प्रतिरूपों की पहचान |
आविष्कार
पुनः प्रयोग किया जाने वाला पर्यावरण हितैषी ड्रिंकिंग स्ट्रॉ का आविष्कार |