सर्वेक्षण की स्थिति
देश के इस भाग में वानस्पतिक सर्वेक्षण का इतिहास 1797 से भी पहले से है (जे.पी. रोटलर) | तब से दक्षिण सर्कल के वर्त्तमान क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों का अन्वेषण अनेक प्रख्यात वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है जिसमे एच.एफ.सी. कलेगहोर्न, सर डब्लू. इलियट, जे.ई. कोएनिग, जे.डी. हूकर, वाइट,बेडोमी, बॉर्डीलॉन, सी.ए. बारबर, जे.एस. गैम्बल, फायसन एवं कई अनेक वैज्ञानिक भी शामिल हैं | उनके संग्रहों को उस समय के "मद्रास हर्बेरियम" ( इस हर्बेरियम का नाम इसके कोयंबटूर स्थान्तरित होने के बाद भी इसके मौलिक स्थल पर ही अभी तक है ) में रखा गया था | भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के पुनर्गठन एवं तदुपरांत दक्षिण सर्कल की स्थापना के बाद, मद्रास हर्बेरियम इसे सौंप दिया गया | 1955 में इसकी स्थापना के बाद से कई छोटे अन्वेषणों के अलावा लगभग 474 गहन अन्वेषण आयोजित किए गए हैं | इसमें साइलेंट वैली, सिसपाड़ा, अनइमुडिस, अगस्त्यमलैस, नीलगिरि, अरकू वैली एवं मनार की खाड़ी तक अनेक बहुआयामी अन्वेषण शामिल हैं | इसके परिणामस्वरूप अधिकांश क्षेत्रों में अन्वेषण कार्य अच्छे से हो चूका है | इस सर्कल के अंतर्गत तीन राज्यों के 68 जिलों एवं दो संघ शाषित प्रदेशों में से लगभग 43 जिलों का अन्वेषण (>70 %) अच्छी तरह से हो चूका है, लगभग 20 जिलों का आंशिक अन्वेषण (40-70%) हो चूका है और लगभग 4 जिलें अन्वेषणाधीन (40% से कम)हैं |
इन अन्वेषण यात्राओं के परिणामस्वरूप 84,651फिल्ड संख्या एवं लगभग 408776 प्रतिरूपों का संग्रह हो चूका है |