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पश्चिमी क्षेत्रीय केंद्र, पुणे

अनुसंधान संबधी आधारभूत संरचना

अनुसंधान संबधी आधारभूत संरचना

आणविक प्रयोगशाला:

फ्लोरिस्टिक सर्वेक्षण एवं दस्तावेजीकरण के अतिरिक्त इस केंद्र ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए 2017 में एक सुव्यवस्थित मॉलिक्युलर डायग्नोस्टिक प्रयोगशाला की स्थापना किया जिसका लक्ष्य  मायकोलॉजिकल अध्ययन पर तत्काल प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित करने के साथ मॉलिक्युलर मानकीकरण एवं पादपों के  विविध समूहों की फिलोजेनी अध्ययन आयोजित करना है | प्रयोगशाला उत्कृष्ट सुविधाओं जैसे अतिशीतित अपकेंद्रित्र, डीप शीतक, फ्रीज, वोर्टेक्स शेकर, डिजिटल ड्राई बाथ, बीओडी इनक्यूबेटर शेकर, जेल डॉक्युमेंटेशन सिस्टम, ग्रेडिएंट पीसीआर, पावर पैक युक्त मिनी जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस,कंपाउंड लाइट माइक्रोस्कोप, वाटर प्यूरिफिकेशन सिस्टम, आदि | इसका उपयोग डीएनए पृथक्करण, पीसीआर, जेल इलेक्ट्रोफोरेसिस, जेल डॉक्युमेंटेशन, डीएनए क्षालन आदि में किया जाता है | इसके अतिरिक्त यह प्रयोगशाला विभिन्न संस्थानों/विश्वविद्यालयों के अनुसंधान कर्मियों एवं अनुसंधानकर्ताओं को मॉलिक्युलर तकनीकों पर व्यवहारिक प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहा है |

माइकोलॉजी अनुसंधान प्रयोगशाला:

जीवंत फंगी पर ज्ञान संवर्धन के उद्देश्य से बीएसआई के पश्चिम क्षेत्रीय केंद्र में 2013 को माइकोलॉजी अनुसंधान प्रयोगशाला  स्थापना की गयी | माइक्रोबियल विविधता के एक्स-सीटू संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए बीएसआई डब्लूआरसी पुणे में भारतीय मूल के फंगल प्रतिरूपों/कल्चरों एवं नवीन रिपोर्टेड टैक्सा ( नवीन वंश, नवीन जातियां, नवीन रिकार्ड्स सहित ) का रखरखाव किया जाता है |

मुख्य उद्देश्य और गतिविधियाँ:

1. कवक नमूनों / संस्कृतियों का संग्रह, अलगाव और पहचान।

2. भारत में कवक की नई उत्पत्ति और प्रजातियों का विवरण।

3. फफूंद नमूनों के विभिन्न समूहों का वर्गीकरण चित्रण।

4. कवक नमूनों / संस्कृतियों का संरक्षण, संरक्षण और रखरखाव।

5. कवक हर्बेरियम नमूनों / संस्कृतियों का दस्तावेजीकरण।

6. पूरे देश में माइकोलॉजिस्ट, प्लांट पैथोलॉजिस्ट, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को राष्ट्रीय पहचान सेवा प्रदान करना।

7. अनुसंधान संस्थानों, शिक्षण के लिए विश्वविद्यालयों, प्रदर्शन और जांच के उद्देश्यों में काम करने वाले वैज्ञानिकों को प्रामाणिक फंगल संस्कृतियों और संबंधित सेवाओं की आपूर्ति करना

मायको लैब पश्चिमी घाट के विभिन्न वन क्षेत्रों से पृथक 500 से अधिक कवक संस्कृतियों का संरक्षण कर रही है। प्रयोगशाला माइकोलॉजिकल तकनीकों में प्रशिक्षण पर हाथ भी प्रदान कर रही है जैसे विकास मीडिया की तैयारी, विभिन्न अलगाव प्रक्रियाएं, टीकाकरण, फंगल संस्कृतियों को बनाए रखना आदि।

स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप:

 

इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी- एसईएम अनुभाग इस केंद्र का बहु विषयक अनुसंधान एवं शैक्षिक सुविधायुक्त अनुभाग है | इस केंद्र में उच्च क्षमतायुक्त फील्ड इमिसन स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप [एसईएम- मॉडल इविवो 18-12-97 (जिस)] है | वर्त्तमान में,एसईएम का प्रयोग सभी ऑनगोइंग अनुसंधान प्रोजेक्ट्स में किया जा रहा है जो विविध अनुसंधान क्षेत्रों एवं पादप समूहों के बीजों के अध्ययन,एंजियोस्पर्मों के परिपक्वता एवं पराग के अध्ययन; फंगी के बीजाणुओं एवं फलन; टेरिडोफाइट में बीजाणुओं एवं एल्गी में केसरों के अध्ययन में किया जाता है | यह आकारिकीय एवं संरचनात्मक सूचनाओं  तथा सतहीय विशेषताओं के विश्लेषण में उपयोगी है साथ ही सूक्ष्म संरचनाओं की सूचनाएं, सतह संदूषणों की जांच एवं पौधों की उच्च एवं निम्न समूहों की क्रिस्टलीय संरचनाओं की पहचान करने, इस प्रकार डायग्नोस्टिक सूक्ष्म लक्षणों पर बहुमूल्य सूचनाएं प्रदान करने में उपयोगी है |   

साइटोलॉजी और एनाटॉमी प्रयोगशाला:

इस केंद्र के साइटोलॉजी प्रयोगशाला की स्थापना आधारभूत सुविधाओं के साथ एनाटॉमी,सतह आकारिकी एवं अपेक्षाकृत उच्च वर्गीय पौधों के गुणसूत्रीय अध्ययन संबंधी अनुसंधान कार्य हेतू  किया गया | वर्त्तमान में प्रयोगशाला मूलस्थानिक आर्किडों की  एनाटॉमी, सीड मोर्फोलॉजी एवं गुणसूत्रीय अध्ययन में केंद्रित है