सर जेडी. हूकर और उनके सहकर्मियों ने ब्रिटिश फ्लोरा ऑफ इंडिया (7 खंडों में, 1872-1890) में 171 परिवारों, 2325 जेनेरा और 14312 पुष्पीय पौधों की जातियों को शामिल किया है जो वर्तमान के भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, तिब्बत, बांग्लादेश, बर्मा (म्यमार), सीलोन (श्रीलंका) और मलायन प्रायद्वीप के क्षेत्रों में व्याप्त हैं| इस काम में भारत की वर्तमान राजनीतिक सीमाओं से 170 परिवारों, 2073 जेनेरा और 10,200 जातियों का वर्णन किया गया था। आगामी वर्षों में पुष्पीय पौधों की कई जेनेरा, प्रजातियों, उप-प्रजातियों, किस्मों और परिवारों (ब्रैकिकौलएसी, क्लेथ्रएसी और हाइडेटेलएसी) को विज्ञान/भारत के लिए नवीन के रूप में रिपोर्ट किए गए हैं|
जलवायु, ऊंचाई और पारिस्थितिक आवासों में विभिन्न विविधताओं के कारण भारत की वनस्पतियां समृद्ध और विविध दोनों हैं। हमारे ज्ञान की वर्तमान स्थिति में भारत में पौधों की लगभग 44,500 जातियां पहले से ही ज्ञात और वर्गीकृत हैं, और कई और अभी भी पहचान और वर्णित किए जाने हैं । इसमें एंजियोस्पर्म (22,108), जिम्नोस्पर्म (83), पेटरिडोफाइट्स (1,319), ब्रेयोफाइट्स (2,819), लाइकेन्स (3,044), कवक (15,701), शैवाल (9,035) और विषाणु/ बैक्टीरिया (1278) शामिल हैं जो विश्व के कुल पादप जातियों का लगभग 7 प्रतिशत भाग का निर्माण करते हैं । लगभग 28 प्रतिशत भारतीय पादप देश के स्थानिक हैं। भारतीय वनस्पतियां मुख्य रूप से फ्लोरिस्टिक विविधता के तीन प्रमुख केंद्रों अर्थात हिमालय, पश्चिमी घाट और अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में केंद्रित है, जो पहचान की गई 34 ' वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट ' में से चार जैसे हिमालय, पश्चिमी घाट और श्रीलंका, भारत बर्मा (एनई भारत और अंडमान द्वीप समूह), और सुंदरलैंड (निकोबार द्वीप समूह) हैं।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण अपने पुनर्गठन के बाद से भारतीय पादपों के सभी प्रमुख समूहों के टैक्सोनॉमिक अध्ययन में सक्रिय रूप से लगा हुआ है। सर्वेक्षण करने वाले वैज्ञानिक प्रत्येक वर्ष विज्ञान के लिए नवीन जातियों और नवीन रिकॉर्ड सहित वर्गीकरण के विभिन्न पहलुओं पर शोध पत्र प्रकाशित करते हैं । चूंकि ये पत्र विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं, इसलिए कई बार शोध छात्रों और अन्य हितधारकों के लिए उन तक समय पर पहुंचना मुश्किल हो जाता है । इसलिए समेकित रूप में नई खोजों को प्रकाशित करने का निर्णय लिया गया है जिसे प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विमोचित किया जाता है
वर्ष 2007 के दौरान बीएसआई के वैज्ञानिकों ने विज्ञान के लिए नए रूप में तेईस जातियों और छह किस्मों (शैवाल की एक जाति, लाइकेन और ब्रायोफाइट्स की दो जातियां और पुष्पीय पौधों की अठारह जातियां तथा छह किस्में) प्रकाशित किया साथ ही एक जीनस और अट्ठाईस जातियां, एक उप-जाति और एक किस्म भारतीय फ्लोरा के लिए नए रूप में रिपोर्ट किया गया है । पश्चिमी घाट, पूर्वोत्तर भारत तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के साथ-साथ अधिकांश खोज हिमालयी क्षेत्र से किए गए हैं।
1890 में स्थापित भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) सर्वेक्षण, प्रलेखन, वर्गीकरण अनुसंधान और पर्यावरण जागरूकता के माध्यम से जंगली पौधों की विविधता के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए वैज्ञानिक आधार प्रदान कर राष्ट्र की सेवा करता है।
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