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निदेशक की कलम से

डॉ. ए. ए. माओ

   निदेशक, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण

(भारत सरकार) 

पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालयभारत सरकार के अधीनस्थ  देश की शीर्ष टैक्सोनॉमिक अनुसंधान संगठनभारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (भा.व.स ) की स्थापना सर जॉर्ज किंग के निदेशन में 13 फरवरी 1890 को किया गया | संगठन का मुख्य जनादेश तत्कालीन ब्रिटिश इण्डिया के समृद्ध पादप संसाधनों का खोज करनासंग्रह करना,पहचान करना एवं इनसे सम्बंधित दस्तावेज तैयार करना था |  

औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण का सभी वानस्पतिक अनुसन्धान, संग्रहण एवं प्रयोगकार्य हावड़ा के सिबपुर स्थित रॉयल बोटेनिकल गार्डेन में केंद्रित था जिसे वर्तमान में भारतीय वानस्पतिक उद्यान कहा जाता है | हालाँकि, आजादी के बाद वर्ष में डॉ. ई.के. जानकी अम्मल के नेतृत्व में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण को पुनर्गठित किया गया | वर्षोपरांत, संगठन के जनादेश का विस्तार जैववर्गिकी अनुसंधान, पादप अध्ययन, दस्तावेजीकरण, राष्ट्रीय वानस्पतिक संग्रहण का डाटाबेस तैयार करना, पादपालय प्रतिरूपों का डिजिटाइजेशन, आण्विक टेक्सोनोमी प्रयोगशाला का विकास, सलाहकार सेवाएं एवं क्षमता निर्माण हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रमों का निर्धारण करना आदि तक हुआ है | वर्तमान में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के मुख्यालय कोलकाता में 4 इकाईयों यथा औद्यौगिक अनुभाग भारतीय म्यूजियम (आईएसआईएम), हावड़ा स्थित 1787 में स्थापित सर्वाधिक पुराना उद्यान आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वानस्पतिक उद्यान (एजेंसीबीआईबीजी), केंद्रिय वानस्पतिक प्रयोगशाला (सीबीएल) एवं केंद्रीय राष्ट्रीय पादपालय (सीएनएच) तथा 2002 में स्थापित भारतीय गणराज्य वानस्पतिक उद्यान,नोएडा सहित अन्य 11 क्षेत्रीय केंद्र सम्पूर्ण भारत में फैले हुए हैं | संपूर्ण विश्व में आण्विक टैक्सोनॉमी के तीव्र विकास के साथ ही बीएसआई ने भी हाल ही में शिलांग एवं पुणे में आण्विक टैक्सोनॉमी प्रयोगशालाओं का स्थापना किया है पादप संसाधनों का  राष्ट्रीय संग्रहक होने के नाते यह  संगठन अपुष्पीय पौधों सहित चार मिलियन से भी ज्यादा परिग्रहित पादपालय प्रतिरूपों को सहेज रहा है जिसमें से 18,988 टाइप प्रतिरूप हैं |

अधिकांश भारतीय राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पादप सर्वेक्षण पूर्ण हो चूके हैं और अभी भी कार्य प्रगति पर है | 68 प्रतिरक्षित क्षेत्रों, 26 उपवनों , 01 रामसार स्थल, 12 परिवर्तनशील पारिस्थितिकी तंत्रों एवं 23 बाघ अभ्यारणों के पादप सर्वेक्षण पूर्ण हो चूके हैं | बीएसआई के विभिन्न पादपालयों में विभिन्न समूहों के लगभग चार मिलियन पादप प्रतिरूपों को दर्ज किया गया है | भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के प्रारंभ होने के समय से बीएसआई के वैज्ञानिकों ने एक नवीन परिवार, 43 नवीन वंश एवं 1666 से भी अधिक नवीन जातियों एवं अंतःविशिष्ट टैक्सा का अन्वेषण किया है जिसमें अनेक वानस्पतिक दृष्टिकोण से रुचिकर टैक्सा भी शामिल हैं | पूर्वी हिमालय में ऑर्किडेसी एवं सपोटेसी परिवार के लगभग 900 आरईटी टैक्सा का जनसंख्या अध्ययन पूरा कर लिया गया है |

एक्स सीटू संरक्षण के अंतर्गत पादप संरक्षण के लिए वैश्विक रणनीति को पूरा करने देश के विभिन्न जैवभौगोलिक क्षेत्रों में विभाग का 12 वानस्पतिक उद्यान फैले हुए हैं | उद्यानों में 150 हजार से भी ज्यादा सजीव पादपों का संग्रहण है जिसमें अनेक महत्वपूर्ण व्यावसायिक पादप समूह जैसे जिंजिबर्स, रैतंस, बम्बूस एवं ऑर्किड्स शामिल हैं | बहुत अधिक संख्या में औषधीय एवं सुगंधित पौधें वानस्पतिक उद्यानों विशेषकर पोर्ट ब्लेयर, यरकौड एवं शिलांग में लगाए गए हैंI

विभाग ने इंडियन प्लांट डायवर्सिटी इन्फॉर्मेशन सिस्टम (आईपीडीआईएस ) नामक डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी विकसित किया है एवं सभी बीएसआई प्रकाशनों (पुस्तकों, अभिलेखों, पत्रिकाओं, न्यूजलेटरों, रिपोर्टों आदि ), पुरालेख संबंधी पत्राचारों (वालिस, रॉक्सबर्ग, हूकर आदि ),दुर्लभ पुस्तकों ( जो अभी तक किसी भी बायोडायवर्सिटी लाइब्रेरी पोर्टल में उपलब्ध नहीं है ) और पादपालय प्रतिरूपों के लिए वेब संस्करण की भी शुरुआत किया है | इस योजना के अंतर्गत भौतिक प्रतिरूपों (जिसमें सामान्य एवं टाइप प्रतिरूप भी शामिल है ) के डिजिटल बैकअप का कार्य प्रगति पर है | ई-फ्लोरा ऑफ इण्डिया एवं पादप चेकलिस्ट डेटाबेस,सभी बीएसआई प्रकाशनों का डिजिटाइजेशन, बीएसआई की आधिकारिक जर्नल नेलुम्बो की ऑनलाइन पोर्टल का शुभांरभ जैसे कार्य पूर्ण हो चूके हैं | अभी तक बीएसआई ने फ्लोरा ऑफ़ इण्डिया का 10 खंड, फासिकल्स के 29 खंड, 9 राज्यों के स्टेट फ्लोरा के 29 खंड, 26 जिलों के डिस्ट्रिक्ट फ्लोरा के 34 खंड एवं 140 विविध प्रकाशनों को प्रकाशित किया है | बीएसआई नियमित रूप से तीन पत्रिकाओं- नेलुम्बो, वनस्पति वाणी एवं पारिजात भी प्रकाशित करती है |